चन्डीगढ( -हरियाणा डेस्क ) डिग्री की वास्तविकता को लेकर उच्च शिक्षा विभाग सतर्क हो गया है ,उसने एक आदेश के तहत कहा हैकि अब हरियाणा में भी इन यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वालों की होगी जांच। राज्य में सभी राजकीय और राजकीय सहायता प्राप्त कालेजों में कार्यरत सरकारी और एक्सटेंशन लेक्चरर जिन्होंने वर्ष 2009 के बाद पीएचडी की है उनकी डिग्री की जांच संबंधी आदेश उच्च शिक्षा विभाग के महानिदेशक पंचकूला मुख्यालय ने दिए हैं।
निजी यूनिवर्सिटी से पीएचडी,एमफिल और अन्य डिग्रियां लेकर नौकरी करने वाले अब स्कैनर पर हैं-
खबर मुताबिक निजी विश्वविद्यालयों के आधार पर नौकरी पा चुके लोगों पर पड़ोसी राज्यों हिमाचल, दिल्ली आदि में शिकंजा कसे जाने के बाद अब हरियाणा में उच्च शिक्षा विभाग ने इनकी जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। सूबे के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त कालेजों में एक्सटेंशन लैक्चरर जिनकी पीएचडी की डिग्री 2009 के बाद की है, उनकी जांच के आदेश दिए गए हैं।
इस निर्देश के जारी होने की खबर के बाद से कुछ पीएचडी करने वालों की रातों की नींद हराम हो गई है। जिन पांच यूनिवर्सिटी को लेकर राजस्थान में फिलहाल मामला गर्म है, उनमें ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चुरू के अलावा झुंझुनू की सिंघानिया विश्वविद्यालय झुंझुनू व श्रीधर विश्वविद्यालय झुंझुनू के साथ-साथ में सनराइज विश्वविद्यालय अलवर, जगदीश प्रसाद जाभरमल इबड़ेवाला विश्वविद्यालय झुंझुनू शामिल हैं। इसके साथ ही हरियाणा में अन्य प्राइवेट यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वालों की भी जांच की बात कही गई है, जिसके बाद से इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल लोगों की नींद हराम हो चली है।
निर्देश दिए हैं कि इस जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाए और संबंधित यूनिवर्सिटी से रिकार्ड एकत्रित कर रिपोर्ट निदेशालय को भेजी जाए। जांच के आदेश जारी होने से सभी कालेजों में कार्यरत लेक्चरर व प्रोफेसर की सांसें अटक गई हैं। करीब डेढ़ साल पहले भी विभाग ने सभी एक्सटेंशन और सरकारी लेक्चरर और प्रो. की पीएचडी के दस्तावेज मांगे थे लेकिन जांच नहीं करवाई गई थी न ही जांच का कोई दायरा तय नहीं किया गया था।